राजधानी दिल्ली इन दिनों प्रदूषण की भयावह स्थिति से गुजर रही है। ठंड के बढ़ते असर के साथ हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है और ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के आसपास या उससे अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है। यह स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। सरकार के प्रयासों के बावजूद स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा है।
दिल्ली में स्थापित 39 सक्रिय AQI मॉनिटरिंग सेंटरों में से 38 सेंटर रेड अलर्ट में हैं। हवा में प्रदूषण की मोटी चादर छाई हुई है, जिसने राजधानी की दृश्यता और सांस लेने वाले वातावरण दोनों को प्रभावित कर दिया है। इस समय बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों पर प्रदूषण का सबसे अधिक असर देखने को मिल रहा है। आंखों में जलन, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण आम हो चुके हैं।
समीर ऐप के आंकड़े बताते हैं कि बुधवार सुबह 6 बजे बवाना में AQI 444 रिकॉर्ड किया गया, जो सबसे अधिक है। सबसे कम AQI लोधी रोड का 327 दर्ज हुआ, जो फिर भी बहुत खराब श्रेणी में आता है। अन्य इलाकों में भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, अलीपुर 383, आनंद विहार 417, अशोक विहार 433, आया नगर 373, बुराड़ी क्रॉसिंग 389, चांदनी चौक 438, डीटीयू 434, द्वारका सेक्टर 385, ITO 381, जहांगीरपुरी 442, मुंडका 406, नरेला 425 और नेहरू नगर 414 का AQI गंभीर स्तर पर बना हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार 300 से 500 के बीच का AQI हवा को ‘खतरनाक श्रेणी’ में रखता है। ऐसे प्रदूषण में लंबे समय तक रहने से फेफड़ों की क्षमता कम होने, दिल की बीमारी बढ़ने और पुरानी सांस से जुड़ी बीमारियों के बिगड़ने का खतरा रहता है। दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरा NCR भी प्रदूषण की इसी मार से जूझ रहा है। नोएडा का ओवरऑल AQI 412, ग्रेटर नोएडा का 450, गाजियाबाद का 436 और गुरुग्राम का 289 रिकॉर्ड किया गया है। NCR के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब से गंभीर की श्रेणी में बनी हुई है।
मौसम विभाग ने बुधवार को दिल्ली में मध्यम कोहरा रहने की संभावना व्यक्त की है। अधिकतम तापमान 26 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। अगले दो दिनों में मौसम में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। तापमान में गिरावट और हवा की कम गति के कारण प्रदूषक कण वातावरण में जमा हो रहे हैं, जिससे AQI में सुधार की संभावना फिलहाल कम है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि लोग सुबह-शाम बाहर निकलने से बचें, N-95 या उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का इस्तेमाल करें और घरों में प्यूरीफायर का प्रयोग बढ़ाएं। खासकर अस्थमा, COPD और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषण वाली जगहों से दूर रखना अधिक सुरक्षित होगा।
सरकार की ओर से GRAP के कई चरण लागू किए जा चुके हैं, लेकिन हवा में मौजूद प्रदूषण स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा। बढ़ती ठंड और स्थिर हवा के कारण हालात और बिगड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि हवा की गति बढ़ने और तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी होने तक दिल्ली प्रदूषण की इसी मार से जूझती रहेगी। फिलहाल राजधानी पर छाया यह ‘जहरीला कोहरा’ जल्द छंटता नहीं दिख रहा और लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी ही होगी।
