नई दिल्ली। राजस्थान में किसान आंदोलन ने फिर जोर पकड़ा है। जहां फसल बीमा क्लेम, बिजली-पानी की समस्याओं और MSP जैसे लंबित मुद्दों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। चूरू जिले से शुरू हुआ यह आंदोलन अब किसान एकता ट्रैक्टर मार्च के रूप में राजधानी जयपुर की ओर बढ़ रहा है।
फसल बीमा क्लेम का लंबित संकट किसानों की चिंता
सांसद राहुल कस्वां के मुताबिक 2021 के लगभग 500 करोड़ रुपये के फसल बीमा क्लेम किसानों को नहीं मिले। पोर्टल में गड़बड़ियां, सर्वे में शामिल न करना और सीजन-वार क्लेम अटकना किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन गया है।
बिजली, पानी और कनेक्शन: किसानों का लंबा सिरदर्द
RDSS योजना का सही तरीके से न लागू होना
कृषि और घरेलू बिजली लाइनों का अलग न होना
नए कृषि कनेक्शन का न मिलना
जल जीवन मिशन की विफलताएँ
रेलवे समपार पर RUB न बनने से खेतों तक पहुंच मुश्किल
इन सभी मुद्दों ने किसानों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।
ट्रैक्टर मार्च में उठेंगी बड़ी मांगें
किसान सरकार से कई नीतिगत मांगें रखेंगे, जिनमें शामिल हैं
भावांतर योजना लागू करना
PM धन-धान्य योजना में मूंग और चना शामिल करना
यमुना लिंक समझौते के अनुसार शेखावाटी को पूरा पानी
नोहर फीडर रिमोडलिंग और स्काडा सिस्टम का तेज काम
झींगा मछली पालन पर हरियाणा जैसी बिजली दरें
MSP पर किसानों की पूरी उपज खरीद
कांग्रेस और अन्य नेताओं का समर्थन
ट्रैक्टर मार्च में कई बड़े नेता और जनप्रतिनिधि शामिल हैं, जैसे: तारानगर विधायक नरेंद्र बुडानिया, रतनगढ़ विधायक पूसाराम गोदारा, सुजानगढ़ विधायक मनोज मेघवाल, पूर्व विधायक डॉ. कृष्णा पूनिया, और PCC उपाध्यक्ष रफीक मंडेलिया।
शेखावाटी से नया आंदोलन
राजस्थान में किसान आंदोलनों का इतिहास पुराना है। जब 1920-30 के दशक में शेखावाटी किसान आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ अहम भूमिका निभाई थी। अब उसी धरती से एक नया आंदोलन उठ खड़ा हुआ है। किसानों का कहना है कि उनकी समस्याएं वर्षों से जस की तस पड़ी हैं और अब सुनवाई का वक्त आ गया है।
