नई दिल्ली । बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2011 में मुंबई में हुए तिहरे बम विस्फोट मामले में 65 वर्षीय कफील अहमद मोहम्मद अयूब को मंगलवार को जमानत दे दी। इन विस्फोटों में 27 लोग मारे गए थे और 120 से अधिक लोग घायल हुए थे। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति आर.आर. भोंसले की पीठ ने अयूब को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी। हालांकि, विस्तृत आदेश की प्रति अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
बिहार निवासी अयूब वर्तमान में मुंबई केन्द्रीय कारागार में बंद हैं। उन्हें फरवरी 2012 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं। 13 जुलाई 2011 को मुंबई के जावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर कबूतरखाना क्षेत्र के पास तीन बम विस्फोट हुए थे। प्रत्येक विस्फोट के बीच लगभग 10 मिनट का अंतर था। महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने आरोप लगाया था कि इन विस्फोटों की योजना आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने बनाई थी और इसके संस्थापक यासीन भटकल मुख्य साजिशकर्ता थे।
अयूब ने विशेष अदालत के 2022 के उस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार किया गया था। अभियोजन एजेंसी के अनुसार, अयूब और अन्य आरोपियों ने इंडियन मुजाहिदीन के इशारे पर मुस्लिम युवकों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उकसाया था। जांच एजेंसी का दावा है कि अयूब यासीन भटकल के संपर्क में था।
अयूब के वकील मुबीन सोलकर ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने एक दशक से अधिक समय जेल में बिताया है और मुकदमा अब भी लंबित है। अयूब ने खुद अदालत में दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उन्हें फंसाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष के पास उनके खिलाफ केवल स्वयं के इकबालिया बयान के अलावा कोई ठोस सबूत नहीं है और यह बयान उन्होंने स्वेच्छा से नहीं दिया था।
इस फैसले के बाद अयूब फिलहाल जमानत पर रिहा होंगे, लेकिन मामला अभी भी न्यायिक प्रक्रिया में लंबित है। हाई कोर्ट का यह आदेश इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि आरोपी अब जेल से बाहर आकर अपनी कानूनी लड़ाई जारी रख सकते हैं।
मुंबई के इस तिहरे बम विस्फोट ने उस समय शहर में दहशत फैलाई थी और देशभर में आतंकवाद विरोधी एजेंसियों की सतर्कता बढ़ा दी थी। अब जमानत मिलने के बाद मामले की आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
