नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने दो साल पहले उठाए गए पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने लोकपाल द्वारा जारी उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सीबीआई को उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी गई थी।
यह मामला 2021 का है, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए संसद में सवाल पूछने के बदले दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकद और महंगे उपहार प्राप्त किए थे। इसके बाद लोकपाल ने इस आरोप की जांच के लिए सीबीआई को निर्देशित किया।
12 नवंबर को लोकपाल की पूर्ण पीठ ने लोकपाल अधिनियम की धारा 20(7)(ए) और 23(1) के तहत सीबीआई को महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की अनुमति दी थी। साथ ही, यह आदेश दिया गया कि चार सप्ताह के भीतर चार्जशीट की एक कॉपी लोकपाल के समक्ष भी पेश की जाए। लोकपाल के इस आदेश के खिलाफ मोइत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
महुआ मोइत्रा का कहना है कि लोकपाल का यह आदेश लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के खिलाफ है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने तर्क दिया कि लोकपाल ने उनकी लिखित और मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार किए बिना ही यह आदेश पारित किया, जिससे उनका पक्ष सही तरीके से सुना नहीं गया।
अपनी याचिका में मोइत्रा ने यह भी कहा कि यदि इस आदेश के प्रभाव और संचालन पर तत्काल रोक नहीं लगाई जाती, तो सीबीआई आरोपपत्र दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी, जिससे उन्हें अपूरणीय नुकसान होगा। उनके अधिवक्ता समुद्र सारंगी के माध्यम से दायर इस याचिका पर मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी।
इस विवादास्पद मामले में अब न्यायालय के हस्तक्षेप की प्रतीक्षा की जा रही है, जिससे यह तय होगा कि क्या लोकपाल के आदेश को चुनौती दी जाएगी या नहीं।
