नई दिल्ली । दिल्ली में पुलिस ने एक बड़ी आतंकी साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया और दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया। यह खुलासा जासूसी फिल्मों की कहानियों को भी चुनौती देने वाला है। पुलिस ने बताया कि इन आतंकियों का संबंध इंस्टाग्राम के एक ग्रुप ‘सावत-अल-उम्माह’ से था, जो शुरू में कट्टर धार्मिक विचारों का मंच दिखता था, लेकिन इसके पीछे भारतीय युवाओं को जिहाद की राह पर धकेलने की साजिश छिपी थी। यह ग्रुप सीरिया द्वारा संचालित था और इसके जरिए दिल्ली में दहशत फैलाने की योजना बनाई जा रही थी।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से यह इंस्टाग्राम ग्रुप जिहादी प्रचार का अड्डा बन गया था। कुछ हफ्ते पहले इसमें चार नए सदस्य शामिल हुए, जिनमें से दो को सिग्नल पर एक चुनिंदा ग्रुप में आमंत्रित किया गया। वहीं इन दोनों में से कुछ खुफिया एजेंट भी थे, जिन्होंने छिपकर इस साजिश को उजागर किया। पुलिस ने बताया कि सिग्नल ग्रुप में शामिल होने के बाद संदिग्धों ने दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाकों में त्योहारी सीजन के दौरान IED हमले की योजना बनानी शुरू कर दी। ग्रुप में ‘रिमोट डेटोनेशन सिस्टम’, प्लास्टिक बम और मोलोटोव कॉकटेल बनाने की तस्वीरें और मैनुअल पुलिस को मिले।
पहली गिरफ्तारी के बाद मुख्य संदिग्ध अदनान के अलावा चार अन्य सदस्यों को भी हिरासत में लिया गया। कुछ ने गवाह बनकर ग्रुप की गतिविधियों का विवरण मजिस्ट्रेट के सामने दिया। हालांकि, ग्रुप के अन्य सदस्य सबूत मिटाने की कोशिश में लगे रहे, लेकिन दिल्ली पुलिस की साइबर टीम ने डिलीट किए गए डेटा को रिकवर कर लिया।
पुलिस ने जिन लोगों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले, उनके लिए डिरैडिकलाइजेशन सेशन शुरू किए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई लोग पूरी तरह हमले की योजना में शामिल नहीं थे, लेकिन प्रचार सामग्री का हिस्सा थे। अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर प्रमोद कुशवाहा और डीसीपी अमित कौशिक की अगुवाई में टीम इन्हें सामान्य जीवन में लौटाने का प्रयास करेगी।
गिरफ्तार संदिग्धों पर फिलहाल UAPA नहीं लगाया गया है, बल्कि उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 113 के तहत आतंकवादी गतिविधियों के आरोप में हिरासत में लिया गया है। पुलिस पूछताछ और सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है। इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी आतंकियों के लिए खतरा बन सकते हैं, लेकिन सतर्क जांच उन्हें नाकाम कर सकती है।
