नई दिल्ली समाजवादी पार्टी के नेता रमाकांत दुबे ने हाल ही में एक विवादित बयान देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है उन्होंने बिना किसी का नाम लिए भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को निशाने पर लिया और कहा कि अगर उनमें दम है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़कर दिखाएं और तब पता चलेगा कि असली दबदबा किसका है यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का केंद्र बन गया हैइस बयान का वीडियो सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी की महारैली का है जिसमें रमाकांत दुबे जनसभा को संबोधित करते नजर आए इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में समाजवादी पार्टी की सरकार के दिनों की भी याद दिलाई और कहा कि उस समय ही तुम्हारी इज्जत समाजवादियों ने बचाई थी उनका यह बयान साफ तौर पर भाजपा नेताओं को चुनौती देने जसा था।
लेकिन उन्होंने किसी का नाम लेकर विवादित टिप्पणी से बचारमाकांत दुबे ने मंच से साफ किया कि मीडिया में अक्सर यह सुना जाता है कि दबदबा है और दबदबा रहेगा लेकिन उन्होंने उन लोगों को आड़े हाथों लिया जो दबदबा का जुमला लगाते हैं उन्होंने कहा जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब बृजभूषण शरण सिंह भाजपा छोड़कर सपा में आए थे और उनकी इज्जत बचाई गई उन्हें जिताया गया आज वही व्यक्ति फिर भाजपा में जाकर चाटुकारिता कर रहा है और दावा कर रहा है कि दबदबा है रमाकांत दुबे ने कहा कि मैं तुम्हें चुनौती देता हूं अगर तुम्हारी मां ने दूध पिलाया है तो तुम निर्दलीय चुनाव किसी भी विधानसभा सीट देवीपाटन मंडल से लड़कर दिखाओ तब तुम्हें औकात का असली पता चलेगा कि दबदबा कहां गया।
सपा नेता रमाकांत दुबे उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के रेहरा बाजार क्षेत्र के अधीनपुर गाँव के रहने वाले हैं उन्होंने बलरामपुर विधानसभा सीट से टिकट के लिए भी दावेदारी की है और उनका राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है वे ब्राह्मण समाज से आते हैं जबकि उनकी बहू अनुसूचित जाति समुदाय से हैं राजनीति में उनके अनुभव की बात करें तो साल 2005 में वे निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं और ग्राम प्रधान के चुनाव में भी हिस्सा ले चुके हैं उनकी स्थानीय पहचान और सामाजिक पृष्ठभूमि ने उन्हें सपा के सक्रिय नेताओं में शामिल किया है।
रमाकांत दुबे का यह बयान न केवल राजनीतिक विरोधियों के लिए चुनौती है बल्कि समाजवादी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए भी उत्साह का कारण बना है उनके शब्दों ने चुनावी मैदान में एक नई हलचल पैदा कर दी है वहीं विपक्ष के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन सकता है कि क्या वे इस चुनौती का जवाब देंगे या इसे नजरअंदाज करेंगे इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग अपने-अपने विचार साझा कर रहे हैं और राजनीतिक विशेषज्ञ इसे आगामी चुनावों के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण मान रहे हैं।
सपा नेता का यह बयान राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने मंच से अपने समर्थकों को याद दिलाया कि किस तरह समाजवादी सरकार ने विरोधी नेताओं की इज्जत को भी बचाया और उन्होंने दबदबा शब्द के जुमले को चुनौतीपूर्ण रूप में पेश किया इससे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए जवाब देना मुश्किल हो सकता है और सपा के समर्थक इसे एक साहसिक कदम के रूप में देख रहे हैंइस तरह रमाकांत दुबे ने अपने भाषण में न केवल विरोधियों को चुनौती दी बल्कि अपने राजनीतिक अनुभव और स्थानीय पहचान को भी मजबूती से पेश किया फैक्ट यह है कि उनका यह बयान आगामी चुनावी रणनीतियों और सियासी समीकरणों पर असर डाल सकता है और घर-घर इस बयान की चर्चा हो रही है।
