नई दिल्ली । महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनावों के ऐलान से पहले उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने नए नेताओं के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। पार्टी ने आगामी चुनाव में उम्मीदवारों की सूची और जिम्मेदारियों को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं, जिससे स्थानीय राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, शिवसेना (ठाकरे ग्रुप) आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव में उन पार्षदों के टिकट काटने पर विचार कर रही है, जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है। यह कदम पार्टी की युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी की इस नई नीति के तहत पुराने और वरिष्ठ पार्षदों को मैदान से हटाकर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार शिवसेना नए उम्मीदवारों को प्राथमिकता देगी, जिससे युवा नेतृत्व को अवसर मिलेगा। यदि यह निर्णय लागू हुआ, तो अनुमान है कि शिवसेना बीएमसी चुनावों में कम से कम 70 प्रतिशत नए चेहरों को उम्मीदवार के तौर पर उतारेगी। यह कदम पार्टी की नीतिगत रणनीति और चुनावी तैयारियों का हिस्सा माना जा रहा है।
हालांकि, इस फैसले से पार्टी में उथल-पुथल की संभावना भी है। वरिष्ठ पार्षद यदि नाराज हुए तो वे अलग राजनीतिक रास्ता अपना सकते हैं, जिससे आगामी चुनावों में पार्टी के भीतर तनाव बढ़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि वार्ड के उम्मीदवार तय करते समय उनके अनुभव और पार्टी में योगदान को भी ध्यान में रखा जाएगा, ताकि नई पीढ़ी को उचित अवसर मिले और युवा नेतृत्व को बढ़ावा मिले।
उद्धव ठाकरे और उनके नेतृत्व में पार्टी के रणनीतिक निर्णयों ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को बढ़ा दिया है। इसके अलावा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (राज ठाकरे) और शिवसेना के बीच गठबंधन को लेकर भी तैयारियां जारी हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं की संयुक्त बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें हर वार्ड में सीटों का बंटवारा और दोनों पार्टियों की ताकत और प्रभाव को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई गई। हालांकि, अब तक किसी भी प्रकार की आधिकारिक गठबंधन घोषणा नहीं हुई है।
पार्टी की आगामी योजना पिछले नगर निगम चुनावों के अनुभव पर आधारित है। 2017 के नगर निगम चुनाव में शिवसेना ने 84 सीटें जीतकर महत्वपूर्ण जीत हासिल की थी। लेकिन कई पुराने पार्षद अब शिंदे सेना में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में इस बार शिवसेना नए और युवा चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।
विशेष रूप से, युवा नेतृत्व को प्राथमिकता देने का यह कदम उद्धव ठाकरे की राजनीतिक सोच और पार्टी की नवीनीकरण रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह न केवल नए नेताओं को अवसर देगा, बल्कि पार्टी में नए विचारों और ऊर्जा को भी शामिल करेगा। आगामी नगर निकाय चुनावों में इस रणनीति का परिणाम पार्टी की स्थिति और चुनावी प्रदर्शन पर स्पष्ट प्रभाव डालेगा।
