भोपाल। मध्य प्रदेश के नगर निकायों में फर्जी कर्मचारियों का मामला गर्माता जा रहा है। शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग ने राज्य के सभी 413 नगर निकायों को नई फेस अटेंडेंस प्रणाली लागू करने के बाद स्टाफ स्ट्रेंथ और वेतन व्यय का विस्तृत डेटा तीन दिन के भीतर पेश करने के निर्देश दिए हैं।
भोपाल नगर निगम में इस जांच के दौरान 3000 से अधिक फर्जी या संदिग्ध कर्मचारी पाए गए हैं। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी (यूएडी) के रिकॉर्ड के अनुसार बीएमसी में 19,854 पंजीकृत कर्मचारी हैं, जबकि निगम का दावा है कि उसके पास लगभग 16,000 वास्तविक कर्मचारी कार्यरत हैं। यह अंतर साफ तौर पर कर्मचारियों की फर्जी प्रविष्टियों और रिकॉर्ड में अनियमितताओं की ओर इशारा करता है।
शहरी प्रशासन ने नगर निगमों के आयुक्तों और नगर परिषदों के मुख्य नगर अधिकारियों को सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि आधार-आधारित बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (एईबीएएस) रजिस्ट्रेशन के बाद रोल से कितने कर्मचारियों की संख्या कम हुई और इससे मासिक वेतन व्यय में कितनी बचत हो रही है, इसका विस्तृत डेटा निर्धारित फॉर्मेट में तीन दिन में प्रस्तुत किया जाए।
यूएडी के मुताबिक, पूरे मध्य प्रदेश में लगभग 1.39 लाख नगर निगम कर्मचारियों ने नई आधार-आधारित फेस रिकग्निशन अटेंडेंस प्रणाली के तहत पंजीकरण कराया है। इस सिस्टम में जीपीएस-सक्षम तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो कार्यालय स्थल के 30-मीटर दायरे में कर्मचारियों की उपस्थिति को सत्यापित करता है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 थी।
इस पहल के तीसरे चरण में उन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होने की संभावना है जो आदतन देर से आते हैं या अटेंडेंस रेकॉर्ड करने में विफल रहते हैं। विभाग का कहना है कि यह डिजिटल ट्रैकिंग प्रणाली निगम के कामकाज में दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की तकनीकी निगरानी से फर्जी कर्मचारियों की पहचान करना और वेतन व्यय में कटौती करना आसान होगा। साथ ही, इससे नगर निगमों की पारदर्शिता और प्रशासनिक अनुशासन में सुधार होगा। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में इस सिस्टम के माध्यम से कर्मचारियों के समयपालन और कार्यक्षमता का नियमित मूल्यांकन भी किया जाएगा।
