मध्य प्रदेश । मध्य प्रदेश में एक हैरान कर देने वाला स्टांप घोटाला सामने आया है जिसने पूरे सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है. यह खुलासा हुआ है कि कुछ स्टांप वेंडर पुराने और इस्तेमाल किए गए स्टांप को केमिकल से साफ कर उन्हें नए की तरह बेच रहे थे यह तरीका उतना ही खतरनाक और सुनियोजित बताया जा रहा है जितना कभी देश को हिलाकर रख देने वाला अब्दुल करीम तेलगी का स्टांप घोटाला था. यह पूरा खेल कितने समय से चल रहा था यह तो अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन शुरुआती जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ चुकी हैं.
कैसे हो रहा था स्टांप स्कैम का खेल
जांच एजेंसियों ने पाया कि कई जगहों पर स्टांप वेंडर पुराने और पहले से इस्तेमाल किए गए स्टांप को बड़े ही चालाकी से जमा कर लेते थे. फिर इन्हें केमिकल सॉल्यूशन में डुबोकर उस पर लगे हस्ताक्षर तिथि नाम और मुहर जैसी सभी महत्वपूर्ण निशानियों को मिटा दिया जाता था. कुछ ही मिनटों में स्टांप का इस्तेमाल किया हुआ हिस्सा पूरी तरह गायब हो जाता था और वह देखने में बिल्कुल नए जैसा लगने लगता था. इसके बाद उस पर फर्जी तरीके से नई एंट्री कर दी जाती थी और उसे असली स्टांप पेपर बताकर बेच दिया जाता था. यह सब काम इतने शातिराना अंदाज में किया जाता था कि आम लोग ही नहीं बल्कि कई मामलों में अधिकारियों तक को शक नहीं हुआ.
जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
मामले की जांच कर रही टीम को कई ऐसे स्टांप मिले हैं जिनका पेपर असल है लेकिन उन पर लिखावट दो बार की गई थी. पहले की लिखाई को केमिकल से मिटाया गया था और बाद में नई इंट्री दर्ज की गई थी. जांच अधिकारी यह भी मानकर चल रहे हैं कि यह खेल सिर्फ कुछ वेंडरों तक सीमित नहीं है बल्कि इसके पीछे एक बड़ा गिरोह भी हो सकता है. ऐसा भी शक है कि फर्जी स्टांप बेचने वाले लोग उन वकीलों और दलालों से जुड़े हो सकते हैं जो कोर्ट और राजस्व विभाग के कामकाज के दौरान खूब स्टांप पेपर का उपयोग करते हैं.
सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान
इस स्कैम की वजह से सरकार को करोड़ों रुपये के नुकसान की आशंका है. माना जा रहा है कि हजारों पुराने स्टांप इस तरीके से फिर से बेचे जा चुके हैं जिसका अर्थ यह है कि एक ही स्टांप पेपर का उपयोग दो बार नहीं बल्कि कई बार किया गया होगा. स्टांप पेपर राज्य सरकार की महत्वपूर्ण कमाई का बड़ा स्रोत होता है और उसका इस तरह दुरुपयोग होना सीधे सरकारी खजाने पर भारी बोझ डालता है.
तेलगी घोटाले जैसी चालाकी से चल रहा था सिंडिकेट
यह घोटाला सामने आने के बाद अधिकारी भी दंग रह गए हैं क्योंकि तरीका बिल्कुल अब्दुल करीम तेलगी के घोटाले जैसा बताया जा रहा है. तेलगी ने भी असली स्टांप पेपर का दुरुपयोग कर उनकी नकली सप्लाई तैयार की थी और बाद में देश भर में करोड़ों रुपये का घोटाला किया था. अब मध्य प्रदेश में सामने आया यह खेल भी उसी पैटर्न से मिलता जुलता दिखाई दे रहा है.
कौन है इस खेल का मास्टरमाइंड जांच में लगे अधिकारी
जांच एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि यह पूरा फर्जीवाड़ा कौन चला रहा था. क्या सिर्फ वेंडर ही इसमें शामिल हैं या किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं. जिन वेंडरों से पुराने स्टांप मिले हैं उनसे लगातार पूछताछ जारी है. पुलिस पुराने रिकॉर्ड भी खंगाल रही है ताकि पता लगाया जा सके कि पिछले कुछ वर्षों में किन्होंने भारी मात्रा में स्टांप खरीदे और बेचे हैं.
सख्त कार्रवाई की तैयारी
सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है. बड़ी कार्रवाई के संकेत मिल चुके हैं और कई स्टांप वेंडरों के लाइसेंस रद्द करने की तैयारी हो रही है. साथ ही उन सभी अधिकारियों की भी जांच होगी जिनके क्षेत्रों में यह फर्जीवाड़ा खुलकर चलता रहा. यह मामला साबित करता है कि स्टांप पेपर जैसे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों में भी कितनी चालाकी से फर्जीवाड़ा किया जा सकता है और सिस्टम को कितना सतर्क रहने की जरूरत है.
