भोपाल। भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित आरआईई परिसर में मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 52वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी की शुरुआत की। देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए करीब 900 छात्र-शिक्षकों ने विज्ञान पर आधारित 240 मॉडल प्रदर्शित किए हैं।।
प्रदर्शनी का मकसद किशोर विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच और विज्ञान के प्रति रुचि विकसित करना है। CM ने बच्चों की प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि यहां मुझे अगली पीढ़ी के आर्यभट्ट, विक्रम साराभाई और एपीजे अब्दुल कलाम नजर आ रहे हैं।
बच्चों के मॉडल देख हुए प्रभावित सीएम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह और स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह की मौजूदगी में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने स्टॉलों का अवलोकन करते हुए कहा कि देशभर के छात्र जब एक मंच पर विज्ञान को समझते और प्रस्तुत करते हैं, तो यह भविष्य के वैज्ञानिक भारत की मजबूत नींव रखते हैं। प्रयास जारी रखें, असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी छह दिन तक चलेगी, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग सहयोगी है।
युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच विकसित करने का लक्ष्य
प्रदर्शनी में 14–18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे अपने मॉडल और प्रोजेक्ट प्रदर्शित कर रहे हैं। हर दिन सुबह 9 बजे से देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र, IISER, मैनिट, ISECT और ग्लोबल स्किल पार्क के वैज्ञानिक विशेष व्याख्यान दे रहे हैं, जिसके बाद छात्रों के साथ 30 मिनट का प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित होता है। इस साल 2025–26 की थीम सतत भविष्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी है।
खाद्य सुरक्षा से लेकर गणितीय मॉडलिंग तक
प्रदर्शनी में जिन प्रमुख विषयों पर मॉडल तैयार किए गए हैं, उनमें खाद्य, स्वास्थ्य और स्वच्छता, परिवहन एवं संचार, प्राकृतिक खेती, आपदा प्रबंधन, गणितीय मॉडलिंग, कंप्यूटेशनल थिंकिंग और अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं। इसके अलावा शाम को विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी अपनी-अपनी सांस्कृतिक विरासत पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देंगे।
6 दिन तक चलेगा आयोजन
प्रदर्शनी में 240 साइंस मॉडल प्रदर्शित हैं।
इसमें 229 स्कूलों ने भाग लिया है।
प्रतिदिन लगभग 2 हजार विद्यार्थी और नागरिक निरीक्षण के लिए पहुंचेंगे।
प्रतिभागियों को भोपाल के ऐतिहासिक और वैज्ञानिक स्थलों का भ्रमण भी कराया जाएगा।
