उज्जैन। सिंहस्थ की भूमि पर लैंड पुलिंग योजना के विरोध में भारतीय किसान संघ ने मंगलवार से बड़े आंदोलन की घोषणा की है। संगठन का दावा है कि एक हजार से अधिक किसान कलेक्टर कार्यालय पर डेरा डालकर प्रदर्शन करेंगे और अपनी मांगें पूरी होने तक वहीं रहेंगे। आंदोलन में शामिल किसान अपने साथ राशन, पानी, ईंधन और बिस्तर भी लेकर आएंगे।
किसान संघ के संयोजक भारत सिंह बेस ने बताया कि उज्जैन समेत आसपास के जिलों के किसान मंगलवार सुबह 9 बजे से आंदोलन शुरू करेंगे। उनका कहना है कि यह संघर्ष कलेक्टर और आयुक्त कार्यालय के अनिश्चितकालीन घेरा-डेरा आंदोलन से शुरू होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक प्रदेश सरकार सिंहस्थ क्षेत्र और पूरे प्रदेश में लैंड पुलिंग कानून को समाप्त नहीं करती, किसान कलेक्ट्रेट परिसर में रहेंगे, खाना बनाएंगे और वहीं रुकेंगे।
आंदोलन में प्रदेश के 18 जिलों से किसान परिवारों सहित उज्जैन पहुंचेंगे। किसान मेला क्षेत्र से पवित्र मिट्टी लेकर अंगारेश्वर मंदिर के पास भूमि माता मंदिर पहुंचेंगे, जहां मिट्टी अर्पित करने के बाद कलेक्टर कार्यालय की ओर रुख करेंगे। अनुमान है कि दोपहर 12 बजे तक कोठी पैलेस के पास कलेक्टर कार्यालय पर लगभग एक हजार किसान धरना-प्रदर्शन करेंगे।
हालांकि अभी तक किसान संघ को प्रदर्शन की आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है, लेकिन संगठन पीछे हटने का इरादा नहीं रखता।
किसानों की मुख्य मांगें हैं:
लैंड पुलिंग एक्ट को तत्काल रद्द किया जाए।
सिंहस्थ क्षेत्र में आध्यात्मिक सिटी के नाम पर स्थायी निर्माण न किया जाए।
किसानों की जमीन अधिग्रहित न की जाए।
मेला पूर्व की परंपरा के अनुसार ही आयोजित किया जाए।
भारतीय किसान संघ का विरोध फरवरी से लगातार जारी है। 12 फरवरी को तहसील स्तर पर प्रदर्शन कर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। 16 सितंबर को 2000 ट्रैक्टरों की रैली निकाली गई, जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री मोहन मिश्र भी मौजूद थे। 4 अक्टूबर को मातृशक्ति ने सद्बुद्धि यज्ञ कर 500 महिलाओं के माध्यम से बाबा महाकाल को ज्ञापन दिया। 10 नवंबर को ढोल-नगाड़ों के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया और ज्ञापन विधायक एवं सांसद अनिल फिरोजिया को सौंपा गया, साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय पर चस्पा किया गया।
अब देखना होगा कि मंगलवार से शुरू होने वाला यह अनिश्चितकालीन आंदोलन किस तरह प्रदेश सरकार और प्रशासन पर असर डालता है और किसानों की मांगों पर क्या प्रतिक्रिया मिलती है।
