कमिश्नर-कलेक्टर के आदेश पर जब भी अतिक्रमण हटाये गए तब दसगुना अतिक्रमण और बढ़ा है?
नर्मदापुरम 12,नवम्बर,(हिन्द संतरी) नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर कृष्णगोपाल तिवारी जी ने संभाग के आला अधिकारीयों से अपने-अपने जिले के भीड़ भाड़ वाले स्थानों मुख्य बाजारों एवं अन्य सार्वजनिक जगहों पर हुए अवैध अतिक्रमण को प्राथमिकता से हटाते हुए प्रमुख स्थलों पर वाहन पार्किंग चिन्हित किये जाने के निर्देश जिला परिवहन अधिकारी एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को दिए किन्तु मजेदार बात यह है की खुद जिला परिवहन अधिकारी अपनी नाक के नीचे अपने आफिस के बाहर तवा कालोनी की करोड़ों रूपये की सरकारी जमीन पर दो दर्जन से अधिक अपने चहेतों सहित विधायक और सांसद के करीबियों के अतिक्रमण को संरक्षण देकर वे उसे हटाने में सक्षम नही तब उन्हें आदेश देना हास्यास्पद ही है। यह अलग बात है की इस शहर के लोग अतिक्रमण नहीं करते, ये बाहर के लोग है जो अतिक्रमण कर शहर की फिजा को ख़राब किये है या एक विशेष वर्ग -समाज के लोग है जो दुसरे प्रदेशों से आकर अतिक्रमण कर यहाँ के पार्षदों से मिलकर यहाँ का राशन कार्ड, वोटरआईडी , आधारकार्ड आदि बनवाकर यहाँ के निवासी बन चुके है जो कानून व्यवस्था की आँखों में धुल झोक कर पैसो के बल पर अतिक्रमणस्थल पर काबिज है और हटाने के अलगे दिन या कुछ घंटो बाद आ धमकते है | कमिश्नर के आदेश के तत्काल बाद नगरदंडाधिकारी कार्यालय ने एसपी कार्यालय के पत्र प्राप्ति उपरांत संयुक्त टीम बनाई है, जिसमें जिला परिवहन अधिकारी को शामिल किये बिना मुख्यनगरपालिका अधिकारी, थाना प्रभारी और नामित अधिकारी नियुक्त कर राजस्व विभाग को अधिकृत कर अतिक्रमण हटाने, वीडियोग्राफी कर रिपोर्ट सौपने को कहा है|
सवाल उठता है की यह टीम कौन सा अतिक्रमण हटाएगी ? चूँकि कमिश्नर महोदय की बैठक में पुलिस महानिरीक्षक मिथिलेश कुमार शुक्ला, डीआईजी प्रशांत खरे, नर्मदापुरम कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना, हरदा कलेक्टर श्री सिद्धार्थ जैन, पुलिस अधीक्षक नर्मदापुरम साई कृष्णा एस थोटा, हरदा बैतूल के पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत बैतूल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अक्षत जैन सहित संभाग के सभी जिलों के जिला परिवहन अधिकारी एवं संबंधित अधिकारी गण उपस्थित रहे, किन्तु संभाग और जिले के ये तमाम जिम्मेदार अधिकारीगण इस बात का ध्यान देंगे की जो अतिक्रमण हटाने की टीम बनाई है वह शहर के अन्य अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ जेल गेट से कमिश्नर कालोनी होते हुए ग्राम जासलपुर तक के मुख्य सड़क मार्ग तक, दुर्गा मंदिर तिराहा होते ही मटन मार्किट के हटाये गए अतिक्रमण पर पुनः काबिज अतिक्रमणकर्ताओं सहित भोपाल तिराहा होते पवारखेडा तक के सड़क मार्ग, दुर्गामंदिर तिराहा से लेकर किरण होटल होते हुए फेफरताल-रोहना तक मुख्य सड़कों की छोट घांस की चरनोई भूमि, राजस्व भूमि पर बन चुके आलिशान भवनों-दुकानों पर रक्तबीज की तरह काबिज बड़े बड़े नेताओं- रसूखदारों का अतिक्रमण हटाने का साहस दिखा सकेगी?
क्या राजस्व विभाग में सरकारी नजूल की जमीनों को, छोटे घांस की जमीनों को जो इन सड़कों के दोनों और है, पर इंच इंच पर कब्ज़ा कर उन्हें लीज पर देने का खुला खेल खेलने वाले अपने मातहम पटवारी, राजस्वनिरीक्षक, तहसीलदार, एसडीएम् आदि पर कार्यवाही कर उक्त लीजों को निरस्त कर सकेंगी? यह इस टीम के बलबूते से बाहर है, यह तो मात्र छोटे गरीब बिना राजनीति वाले बकरीनुमा टप वाले के कान मरोड़कर दहाड़मारने में अग्रणी है जो पिछले 40 सालों से देखा जा सकता है| नर्मदापुरम नगरपालिका परिषद् ने बीते माह अतिक्रमणकर्ताओं पर जुरमाना का प्रस्ताव रखा लेकिन वह कागजों में है, एक भी अतिक्रमनकर्ता पर जुरमाना नहीं किया गया, परिणामस्वरूप स्थानीय सतरस्ते और हीरो हौंडा शोरुम तिराहा आदि स्थानों पर फलसब्जी के ठेले सड़कों के बीच में खड़े होकर चुनौती देते है जो रेलवे स्टेशन रोड को तो जाम किये ही होते है वही ग्वालटोली पहुँच सड़क, बालागंज पहुचं सड़क सहित सभी सड़कों पर खड़े होते है| इसी क्रम में भवानी चौराहा मीनाक्षी पर भी भले ही दुर्गा मंदिर हटा दिया गया किन्तु सडक चौडीकरण के बाद सरकारी बंगलों से सटकर बड़े बड़े टप कर अतिक्रमण किया गया है जो अतिक्रमणहटाने वाली टीम के लिए एक चुनोती है|
अधिकारी और कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद उक्त पद पर दुसरे अधिकारी के न आने की कमी एक मुद्दा है दूसरा पहलु यह भी है कि नर्मदापुरम नगरपालिका अधिकारीविहीन है, जिसमें लेखापाल, कार्यालय अधीक्षक, इंजिनियर के दायित्वधीन उपयंत्री आदि को जिस जिम्मेदारी का प्रभार दिया गया है वे अधिकांश दैनिक वेतनभोगी पम्प आपरेटरों,संविदा कर्मी है जो नियमविरुद्ध प्रभारी अधिकारी का प्रभार निभाते समय पद की गरिमा और जिम्मेदारिओं को नहीं समझते है यही कारण है की ये कर्मचारी खतरी ओढ़ के घी पि रहे है और भ्रष्टाचार,अनियमितता तथा गबन धोखाधड़ी के मास्टर बने है, किन्तु क़ानूनीरूप से वे इसके लिए अक्षम है और पुरे शहर में अतिक्रमणकर्ताओं के पोषक है तब एक दशक से कलेक्टर और कमिश्नर के ऐसे आदेश जब-जब हुए रायल मेडिकल जैसे अतिक्रमकर्ताओं के पर लग गए और पूरा शहर का बाजार, सड़के, मोहल्ले और गलिय इस अतिक्रमण की चपेट में है जो सुबह कार्यवाही के बाद शाम को यथावत बैठ जाते है, अतिक्रमण हटाने वाले जिला प्रशासन की टीम गरीब को प्रताड़ित कर रक्तबीजनुमा अतिक्रमणकर्ताओं का बाल भी तेडा नहीं कर सकी है|
